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नियति ने हमको इस जग की,ये कैसी दशा दिखाई है
नियति ने हमको इस जग की,ये कैसी दशा दिखाई है
ना किसी गैर का दुख समझा,ना पीड़ा कभी उठाई है
ना तन्हा सा सेवक है अब, ना पन्ना सी दाई है
अब तो अपनों ने ही सबपर,खुद ही तलवार उठाई है
नियति ने हमको इस जग की.................... 2

रामा-रामा रटते-रटते,उम्र हमारी बीत गई
सब घड़ियों पर तो सदैव,दुख की घड़ियां ही जीत गईं
ना किसी ने मेरा साथ दिया,ना मेरी शामत आई है
पहले भी अकेले लड़ते थे,जारी अब भी कठिन लड़ाई है
नियति ने हमको इस जग की..................... 2

अभी ना कलयुग बीता है, ना त्रेतायुग कल आएगा
भविष्य में लगता है कि, भाई-भाई को ही खायेगा
ना जग में कोई राम बचा,ना लक्ष्मण सा अब भाई है
धूर्त,कपटी और छलियों ने,इस जग में धाक जमाई है
नियति ने हमको इस...