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दो पल प्यार के
तुम मोहब्त नहीं समझती है
हम भी अपने अन्ना में जलते हैं

इस दफा बंदिसे बहोत्त ज्यादा है
छोड़ अब अगले जनम में मिलते हैं
– रितेश रजवाड़ा
गैरों को अब गले लगाओ जाओ तुमको छोड़ दिया
सबको मेरे ऐब गिनाओ जाओ तुमको छोड़ दिया

किससे मिलने की खाहिस आंखों में भर कर आई हो
जाओ जाओ जल्दी जाओ जाओ तुमको छोड़ दिया

चाहा था की नाम तुम्हारे साथ हमारे आएगा
अब चाहे किसिके कहलाओ जाओ तुमको छोड़ दिया

हम भी कितने पागल थे जो तुम पर गजलें कहते थे
अब मत कहना शेर सुनाओ जाओ तुमको छोड़ दिया

हिज्र कहां तक सह पाओगी इश्क़ करो
तन्हाई में मर जाओगी इश्क़ करो

एक ही दिल है दिल की चाहत मत मारो
आख़िर एक दिन पछताओगी इश्क करो

तकिया और खिलौने से खुद को
कब तक बह लाओगी इश्क़ करो

कितने दिन तक कितने लडको को
अपने साथ घुमाओगी इश्क़ करो

अपनी अपनी हिम्मत जिंदा रखती है
सबको एक जरूरत जिंदा रखती है

सांसों को चलने कि जिंदगी मत समझो
बस जीने की चाहत जिन्दा रखती है

इंटरनेट पर नफरत बेचने वाले सुन
हमको एक मुहाबत जिन्दा रखती है

मेरे कत्ल की साजिश फिर नाकाम हुई
मुझको मेरी क़िस्मत जिन्दा रखती है

आशिक़ पागल शायर जैसे लोगों को
तन्हाई की बहसत जिन्दा रखती है

अगर है उससे प्यार मोहबत साबित कर
एक नही सौ बार मोहब्बत साबित कर

खामोशी कि कौन किताबे पढ़ता है
लफ्जों से कर इज़हार मोहब्बत साबित कर

मुमकिन है फिर दिल टूटे फिर ज़ख्म मिले
फिर हो जा बेजार मोहब्बत साबित कर

दुनियां से लड़ और लोगों के ताने सुन
जा जा मेरे यार मोहब्बत साबित कर

केवल तूही उस प्यार के काबिल है
और नही कोई हकदार मोहब्बत साबित कर

एक दिन वो भी तड़पेगी और उसको भी
हो जाएगा प्यार मोहब्ट साबित कर
– कुमार विकास

खता इतनी सी है हम मानते हैं
तुझे हद से ज्यादा चाहते हैं

कभी एक दूसरे के जान थें
अब फकत एक दूसरे को जानते हैं
– आनंद राज
हम तो शेर सुनाने वाले काफिर थें
उसको एक जोकर सा लड़का चाहिए था

बहोत दिन बाद एक रस्ता देखा है
मगर उसका मुसाफ़िर थक चुका है

तेरे हिस्से का मै तो जा चुका हूं
मेरे हिस्से का अब भी तू बचा है

वो मेरा है नहीं मैं जानता हूं
उसे खोने का फिर भी बसबसा है

बिना पूछे ही आ जाती है पागल
तेरी याद कितनी वे हया है

खिलौने ना रखो ये आगे मेरे
मेरे अंदर का बच्चा मर चुका है
– शुभम सरकार

उनकी सोहबत में गए संभले दोबारा टूटे
हम किसी शख्स को दे दे कर सहारा टूटे

ये अजब रश्म है बिल्कुल न समझ आई हमे
प्यार भी हम्ही करें दिल भी हमारा टूटे

मेरी दीवानगी का क्या करेंगे
पुरानी चीज़ है सौदा करेंगे

उसे देखा तो दिल ने दी नसीहत
उसे तहज़ीब से देखा करेंगे

कभी मिलेंगे तो ये कर्ज़ भी उतारेंगे
तुम्हारे चेहरे को पहरो तलक निहारेंगे

दीवाने सर को तेरे चौखट पे मारेंगे
पर अपना गुस्सा गज़ल पे नही उतारेंगे

ऐ मेरे जान इन्हें सच का तो पता है मगर
ये लोग तेरे हैं पत्थर मुझी को मारेंगे

हमारे बाद तेरे इश्क़ में नए लड़के
वदन तो चूमेंगे मगर जुल्फें नहीं सवारेंगे


तेरे आगे है सब तुझको दिखाई दे रहा है
तेरा गम ख़ुद व ख़ुद मुझको रिहाई दे रहा है

मेरे सीने पे सर रखा है तो खामोश मत रह
मुझको बता तुझे जो भी कुछ सुनाई दे रहा है

अंधेरा वो है जिसमे देखना मुमकिन नहीं है
मगर फिर भी ये अंधेरा मुझको दिखाई दे रहा है

मुझे पूछे बीना मुझसे मुहाबब्बत कर रहा है
मरज जाने बीना मुझको दवाई दे रहा है
–विक्रम वैरागी

हम अगर अब भी प्यार में रहते
एक अलग ही म्यार में रहते
तुमको इंसान नहीं होना था
फूल बनते बहार में रहते
–धीरज

उसे भुलाया नहीं उदास रहने लगे
हम अपने चांद से लड़कर उदास रहने लगे

उदास रहने से गजलों में जान आती है
सो पूरा ध्यान लगा कर उदास रहने लगे
– नदीम

ख़ामोशी कुछ कह रही है कान में क्या
कोई आ रहा है गुमान में क्या

अब मुझे कोई टोकता भी नहीं
यही होता है खानदान में क्या

बोलते क्यूं नहीं मेरे हक में
आबले पड़ गए जबान में क्या

मेरी हर बात बेअसर ही रही
नुख्स है कुछ मेरे बयान में क्या

वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब हूं मैं तेरे अमान में क्या


ये जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या

ये मुझे चैन क्यूं नहीं पड़ता
एक ही सख्स था इस जहान में क्या

बहोत दिल को कुसादा कर लिया क्या
जमाने भर से वादा कर लिया क्या

तो क्या सचमुच जुदाई मुझसे कर ली
ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या

बहोत नजदीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

कुछ तबियत ही मिली ऐसी
चैन से जीने की सूरत न हुई

जिसको चाहा उसे पा न सका
जो मिली उससे मोहब्बत न हुई
© Deepak Kumar Dhawan.