मेरे बाद...
वो आये थे मेरे मातम का मुजरा देखने को पर,
जहाँ ढलका मेरा आँचल, वो अपना सर झुका बैठे।
हमेशा कह तो देते थे की तुम मेरे नहीं कुछ भी,
तो मेरी मौत पर क्यूँ कर वो पलकों को भीगा बैठे।
जो मेरा नाम भी लेना वो कहते थे गुनाह होगा,
तो क्यूँ तन्हाई में मेरे तराने गुनगुना बैठे।
छुपाते थे सभी से...
जहाँ ढलका मेरा आँचल, वो अपना सर झुका बैठे।
हमेशा कह तो देते थे की तुम मेरे नहीं कुछ भी,
तो मेरी मौत पर क्यूँ कर वो पलकों को भीगा बैठे।
जो मेरा नाम भी लेना वो कहते थे गुनाह होगा,
तो क्यूँ तन्हाई में मेरे तराने गुनगुना बैठे।
छुपाते थे सभी से...