...

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ये भी गुजर जाएगा
मां कहती थी , ये भी गुजर जाएगा
वक्त के साथ-साथ हालात गुजर जाएगा
हम ओस की बूंदों से बुझाते रहे प्यास
पानी की तलब और प्यास गुजर जाएगा
जीवन में मिला दुखों का पहाड़
कुछ नगद तो कुछ उधार
क्या यह हिसाब शेष रह जाएगा
ये भी गुजर जाएगा।
बचपन छूटा गुजर गई जवानी
कुछ पूरी कुछ अधूरी कहानी
यह कहानी भी क्या फिर दुहराएगा
ये भी गुजर जाएगा।
तुम क्या गए बिखर गई बगिया
मुरझाए फूल टूटी कलियां
क्या पतझर से सावन रुक जाएगा
ये भी गुजर जाएगा।
इन आंधियों ने तोड़ा है घर
बिखरा उपवन मन में डर
इन डरों से कौन बच पाएगा
ये भी गुजर जाएगा।
सप्रेम:- नीरज कुमार
© नीरज कुमार