...

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मैंने तुमको पहचान ली
देर से ही सही ,
ये सच मैंने जान ली ।
ये जिंदगी मैंने तुमको पहचान ली।
देकर छीन लेने की ,
तेरी आदत पुरानी है।
कुछ मांगना नहीं तुझसे,
ये भी मैंने ठान ली
ये जिंदगी मैंने तुमको पहचान ली।
कहीं धूप कहीं छाया
कुछ खोया कुछ पाया।
क्या क्या तुमने नहीं सिखाया
जो भी मिला तुझेसे मैंने
सब ज्ञान ली।
ये जिंदगी मैंने तुमको पहचान ली।
परीक्षा तू लेती रही,
फल तुझे देती रही।
आदत ये भी है तेरी सही,
हौसला भी तेरा मान ली,
देर से ही सही,
ये सच मैंने जान ली,
ये जिंदगी मैंने तुमको पहचान ली।

नाम कविता शर्मा
पानागढ़