तेरी बेवफ़ाई के किस्से
तेरे चाहने वाले है तमाम यहाँ,
तुझे मालूम ही क्या टूटे दिल का हाल,
ग़र समझती मेरे दिल की बेचैनी को,
यूँ रुसवा न करती मेरी मोहब्बत बीच राहों में,
मुझे मंज़ूर होता ग़र तेरी मज़बूरी होती,
पर तू अपनी मर्ज़ी से थी गैर की बाहों में,
हर कतरा जो बहता है मेरी आँखों से,
वो...
तुझे मालूम ही क्या टूटे दिल का हाल,
ग़र समझती मेरे दिल की बेचैनी को,
यूँ रुसवा न करती मेरी मोहब्बत बीच राहों में,
मुझे मंज़ूर होता ग़र तेरी मज़बूरी होती,
पर तू अपनी मर्ज़ी से थी गैर की बाहों में,
हर कतरा जो बहता है मेरी आँखों से,
वो...