...

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तुम्हे पाने की ख़्वाहिश
अब तुझे खोने का डर है ,ना पाने की ख़्वाहिश,
इश्क़ मिरा कब का , दम तोड़ गया है,

चुभने लगी हैं अब तो , नज़रें ज़माने की,
नाउम्मीदी से रिश्ता , अब तू जोड़ गया है,

कब तलक रखूं उन अरमानों से नाता,
जिन ...