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होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक…!!!!
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक…
होंगे ही घात हिंसक।।
किंतु मृदुल भूमि में हम कहां जन्मे हैं-
बस कर्म करेंगे और लड़ेंगे…
हम इस जीवन समर के रण में हैं।।
विपत्तियों के सम्मुख रहेंगे खड़े…
देखते हैं आघात हैं कितने बड़े हैं।।
चाहे हो जाए जीवन में घनघोर...