तुम, मैं और बरसात
काश आये कोई ऐसी शाम सनम,
चल रहें हो किसी सुनी सड़क हम,
कड़के आसमां में बिजली अचानक,
थाम लो तुम मेरा हाथ तब डरकर,
सिमट जाओ मुझमें सीने से लगकर,
भर लूँ मैं फ़िर तुम्हें...
चल रहें हो किसी सुनी सड़क हम,
कड़के आसमां में बिजली अचानक,
थाम लो तुम मेरा हाथ तब डरकर,
सिमट जाओ मुझमें सीने से लगकर,
भर लूँ मैं फ़िर तुम्हें...