...

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मेहतरानी
एक उम्र तक मुझे लगता रहा
उसका नाम ही " मेहतरानी " है
जैसे एक थी नाइन माईं
एक थी धोबिन अम्मा
एक थी बर्तन वाली
और वो थी " मेहतरानी "

मेरे बचपन में
डलिया और झाड़ू उठाये
वो रोज़ घर आती
मुँह पर धोती ( साड़ी ) का छोर टिकाये
जोर से चिल्लाती
" राख़ डार देओ "
घरवाले कहते
" छुइयो मत , दूर रहियो "

हम प्लेट भर राख़ लाते
उससे दूर खड़े हो , फेंककर भाग आते...

वो बाहर राख़ के सहारे
हमारी गन्दगी बटोरती...
और अंदर हम

रगड़कर हाथ धोते...

वैसे -...