बिंदी
कभी कहीं पढ़ा था मैंने,
कि माथे की गोल बिंदी
आभास कराती है
कभी घूमती धरती का,
तो कभी शीतल चांद का..
ना जाने कितने रूप हैं,
इस गोल बिंदी के...
पर मां,...
कि माथे की गोल बिंदी
आभास कराती है
कभी घूमती धरती का,
तो कभी शीतल चांद का..
ना जाने कितने रूप हैं,
इस गोल बिंदी के...
पर मां,...