...

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Naari
जननी है जनम दाता है
मोमबत्ती की तुलना से लेखक इसका मोल समझाना चाहता है

कोमल ह्रदय मोम सा उसका जलकर रौशनी फहलता है
खुद पिघलकर साच्चों में ये कई रूप अपनाता है

बाहर से इसकी कोमल काठी सबका मन मोह लेती है
पर अग्नि ही है उसकी शक्ति कोई भी रूप वो लेती है

छोटी सी चीज़ समझ कर हम इसे कोने में तो रख देते हैं
पर अँधेरा छाने पर इसे ही ढूंढ़ना शुरू करते है

नाज़ुकता इसका गुण समझकर कभी खेलने लगते हैं
पर तपते मोम की जलन पड़ते ही हाथ पीछे कर लेते हैं

हर घर में ये जल जल कर दूर अँधेरा करती है
मोल है इसका इतना बड़ा ये मंदिर में प्रभु सुमिरन को जलती है

जननी है जन्मदाता है
हर नारी को नमन लेखक ये कहना चाहता है @ ritz