खाब सा लगता है
हर बात पे मुस्कुराना उसका
जन्नत-ए-दिदार सा लगता है।🥰ज्ञ
आजकल ये दिल मेरा कुछ
बिमार सा लगता है। 🥰
रब ने दिया सोगात मे मुझे
वो तोहफा सा लगता है।🥰
मागु भी क्यु मै मन्न्ते उससे
मुझे वो सबसे खास सा लगता है। 🥰
चाहत नही मुझे अब किसी मंजिल की
मुझे वो पुरी कायनात सा लगता है। 🥰
खुली आखो से देखा जो मेने
वो खुबसुरत खाब सा लगता है। 🥰
© miraan ruth
जन्नत-ए-दिदार सा लगता है।🥰ज्ञ
आजकल ये दिल मेरा कुछ
बिमार सा लगता है। 🥰
रब ने दिया सोगात मे मुझे
वो तोहफा सा लगता है।🥰
मागु भी क्यु मै मन्न्ते उससे
मुझे वो सबसे खास सा लगता है। 🥰
चाहत नही मुझे अब किसी मंजिल की
मुझे वो पुरी कायनात सा लगता है। 🥰
खुली आखो से देखा जो मेने
वो खुबसुरत खाब सा लगता है। 🥰
© miraan ruth