मतलबी समाज
अब ये वो वाला समाज नहीं
जहाँ इंसान इंसान के दर्द को
समझता था,
जहाँ आपस में प्रेम और
भाईचारा रहता था,
अब तो समाज ने स्वार्थ का
चोला पहन लिया
अपनों से नाता तोड़ लिया
भाई भाई का न रहा
गैरों से सम्बन्ध जोड़ लिया
हर इंसान जरूरत का...
जहाँ इंसान इंसान के दर्द को
समझता था,
जहाँ आपस में प्रेम और
भाईचारा रहता था,
अब तो समाज ने स्वार्थ का
चोला पहन लिया
अपनों से नाता तोड़ लिया
भाई भाई का न रहा
गैरों से सम्बन्ध जोड़ लिया
हर इंसान जरूरत का...