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ख्वाहिश 🤌


🤌इततू सी जीने की ख्वाहिश में
कभी चांद को देख कर दुआ मांगते देखा है
कभी टूटे हुए तारो से ख्वाहिश को बुनते देखा है
अगर कोई टूटा भी है तो कुछ जोड़ने के लिए
और कोई साथ हैं तो साथ देने के लिए
टूटे हुई चीजें न हमेशा दर्द देती हैं
और ना खुशी

मिलते बिगड़ते लोग हैं इस जहां में
उस जहां का कोई ठिकाना नहीं है
कब आज कल में बदल जाए
पल भर की जिंदगी हैं और
पल भर के लिए कोई बेगाना नहीं है

जीने के लिए ख्वाहिश है, ख्वाब है अपने
तभी तो इस जहां में सपने हैं
कहते हैं जीना है तो मुस्करा कर जियो
सुख और दुःख की नाव में तो पार लगाना ही है



#writcopoem
#writcoapp