...

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तेरी मेरी साइकिल
क्या तुम्हें कभी याद आता है वो रास्ता ,
जिस रास्ते पर चलकर तुम और मैं हम हो जाते थे ।
कभी मैं तुम्हारी और तुम मेरी ,
साइकिल के आगे साइकिल चलाते थे ।
रास्ते में दो चार प्यार भरी बातें होती थी ,
जब दिल दिल मिल जाता थे।