हकीकत ज़िंदगी
कदम जो ज़रा लड़खड़ाए हमारे,
तो अपने हौंसला अफज़ाई करने लगे।।
जो अहले अकल ने ज़रा तख्त छोरा,
तो कम अक्ल भी बादशाही करने लगे।।
लुबादा (चोला)जो हमने शरीफी का ओढ़ा,
सब मिलके हमारी बुराई करने लगे।।
कोशिशों बाद भी हमे जान न सके जो,
तो औरों से सुराग रसाई करने लगे।।
उठा जब नकाब उनके अपने सरों से,
बे वफा भी वादा वफाई करने लगे।।
क़िस्सा जो सुना उन्होंने रोज़े हश्र का,(अंतिम...