...

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मुस्कान
मैंने देखा, एक मुस्कुराता चेहरा ,
वो सिर्फ एक मुस्कान ही न थी।।

न जाने क्यों उसकी आंखों में नमीं,
और लफ़्ज़ों पे अल्फाजों की कमी - सी थी।

मुख पे है , शांत- सा भाव,
जैसे मन में हो कोई गहन -सा भाव।

रिसता है रक्त उन घाव से,
जैसे हों, बेड़ियां जो निकलती नहीं कभी पांव से।

मैंने देखा एक मुस्कुराता चेहरा,
वो सिर्फ एक मुस्कान ही न थी......।।