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राठौड़ वंश की पहचान: जंगल से ताज तक
उत्तर प्रदेश की मिट्टी, जहाँ किस्से बने वीरों के,
सेतराम का बेटा, लेकिन किस्मत थी अंधेरों में।
इक्यावनवाँ जनम, नाम था उसका राव,
पर दासी की भूल से बिगड़ गया सब हाल।

ज्योतिषी की चाल, बोला पैदा होते ही मौत,
राजा का लहू, पर फैसले थे कठोर।
आदेश हुआ, बच्चा जंगल में फेंका,
शेरनी के जबड़े में ज़िंदगी को देखा।

मगर किस्मत बदल गई, शेरनी ने अपनाया,
अपने शेर के संग, उसे भी दूध पिलाया।
वो बढ़ा जंगल में, शेरों के जैसे चला,
शिकार में माहिर, जैसे खुद ही था जंगल का राजा!

शेरनी का वारिस, जंगल में जीता,
शेरों का अंदाज, हर कदम पे दिखता।
इंसान था, पर शेर जैसा निकला,
तू क्या समझेगा? उसकी किस्मत का झटका!

पालीवाल ब्राह्मणों की नज़रें जब उस पे पड़ी,
इंसान को शेरों के...