...

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झूठी औरत
हाँ मैं इक झूठी औरत हूँ!
मैं झूठ बोल कर खुद को
खुश रखती हूँ,
मैं अपने ससुराल में झूठ बोलती हूँ कि मेरे मायके में मुझसे सब े प्यार बहुत करते हैं, मैं नाजो से पली इक गुड़िया जैसी हूँ, जो लाडली हैं सबकी, मेरी कमी वहाँ खटकती हैं सभी को
पर हक़ीक़त ये हैं कि मैं इक ज़िम्मेदारी थी, जिसे ब्याह कर सबने चैन की सांस ली!

हाँ मैं इक झूठी औरत हूँ
जो मायके में ये कहती हैं
कि ससुराल में बहुत खुश हूँ
मेरे बिना वहाँ किसी का मन नहीं लगता हैं
मेरे पति मुझे अपनी पलकों पे रखते हैं
मेरे वापस आने का दिन गिनते रहते हैं,
मुझसा कोई खुशनसीब नहीं ये सबको
दिखाती हूँ,
झूठ बोल कर अपनी सहेलियों को जलाती हूँ
पर हक़ीक़त यह हैं कि किसी को फर्क नहीं पड़ता
मेरे वजूद से

हाँ मैं इक झूठी लड़की हूँ
जो ख़्वाबों में अपनी खुशियाँ ढूंढती हैं
खुद से लाखों झूठ बोलती हैं
मानने को तैयार नहीं कि, सब मग्न हैं अपनी दुनियां में
वो झूठी लड़की भी खुश हैं अपनी ख़्वाबों कि दुनियां में
हाँ मैं इक झूठी औरत हूँ |