...

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मैं गुनगुनाता नहीं..!!


मैं कुछ गुनगुनाता नहीं..
मैं कुछ बोलता नहीं..
तू ही कुछ बोल दो
मिलाके नज़रे मुझसे तू..
अपनी पहचान मेरे पास छोड़ दो..
मैं हूं अल्पभाषी
दिल के विश्वासी
जो कहोगी तू.., मैं मानलूंगा
मैं नजदीक हूं तेरे..
तू गुनगुनाओ नगमे
तेरे दिल के पास हूं,सुनूंगा
आज कोई शब्द निकल नहीं सकते,
मेरे अल्फाजों से
बस मायूस हूं तुझसे
सिर्फ़ तू ही बोलो मेरे यारा..
मेरे मन को मत टटोलो
इतना भी बिछड़ा नहीं हूं,
करता हूं तुझसे प्यार..
बस मीठी आवाज , अपने होंठो से
एक बार मुझे सुना दो
कहता हैं दिल मेरा,
तेरी बातें सुनने को
यहां सुनसान हैं जगह, सिर्फ़ पंछी हैं
या फिर हम दोनों
इतना गुमशुदा होना भी अच्छा नहीं हैं यारा..
जमाना पलट गया हैं , अपने ही दौर पर,
कुछ तो बोलो मुझसे दिल मिलाकर..!!!

© All Manoj Kumar