न मालूम मुझे...
कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे!
वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे!
टूटे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर की तरह,
दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे!
मैं हूँ खोई हुई माज़ी की किन्हीं यादों में,
क्या...
वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे!
टूटे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर की तरह,
दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे!
मैं हूँ खोई हुई माज़ी की किन्हीं यादों में,
क्या...