🥀आज चाँद भी इठला रहा है...🥀
🥀💃 चाँद की चाँदनी का,
आज अनूठा निखार देखो..
अल्हड़ सी नव यौवना का,
आज सोलह श्रृंगार देखो..
रात के अंधेरे में..
आंगन में वो थिरक रही है,
जैसे अप्सरा प्यारी सी कोई,
चंचल मन मोह रही है....
स्वर्णिम आभा को संजोए,
आज चाँद भी इठला रहा है,...💃
शरद पूर्णिमा के इस दिन को ,
वो मिलन दिवस बता रहा है.....
भीनी सुगंधित हवा बह रही,
जिसमे ठंडक घुली हुई है,...
चंद्र घटाएं यूँ फैल गई,
जैसे उनींदी सो रही निशा ...
छिटक छिटक कर धवल रोशनी,
प्रकाशित कर रही है धरा….❣️💃
🥀$unit@tul~~
© sunita gupta
आज अनूठा निखार देखो..
अल्हड़ सी नव यौवना का,
आज सोलह श्रृंगार देखो..
रात के अंधेरे में..
आंगन में वो थिरक रही है,
जैसे अप्सरा प्यारी सी कोई,
चंचल मन मोह रही है....
स्वर्णिम आभा को संजोए,
आज चाँद भी इठला रहा है,...💃
शरद पूर्णिमा के इस दिन को ,
वो मिलन दिवस बता रहा है.....
भीनी सुगंधित हवा बह रही,
जिसमे ठंडक घुली हुई है,...
चंद्र घटाएं यूँ फैल गई,
जैसे उनींदी सो रही निशा ...
छिटक छिटक कर धवल रोशनी,
प्रकाशित कर रही है धरा….❣️💃
🥀$unit@tul~~
© sunita gupta