बीता हुआ कल, बनने वाला कल
सबक जो सीखा, उसे संभाल के रखा,
हर चोट से निकला, जैसे लोहा जला कच्चा।
दिमाग में ताजा, हर गलती का हिसाब,
कल की चूक से ही सीखा, मैंने जवाब।
पर आने वाला कल, मेरी मुट्ठी में कैद है,
जो करने की ठानी, वो मेरे इरादों का बैध है।
हाथों में रखी अपनी किस्मत की...
हर चोट से निकला, जैसे लोहा जला कच्चा।
दिमाग में ताजा, हर गलती का हिसाब,
कल की चूक से ही सीखा, मैंने जवाब।
पर आने वाला कल, मेरी मुट्ठी में कैद है,
जो करने की ठानी, वो मेरे इरादों का बैध है।
हाथों में रखी अपनी किस्मत की...