कविता लेखन के सिलसिले में मेरी उलझने इतनी सारी है कि........
कविता लेखन के सिलसिले में!!!!!
मेरी उलझने इतनी सारी है कि खुद की सोच खुद पर ही भारी है
और दिमाग में विचारों की अलग से मारामारी है
खयालों की सीडीं भी दिन भर बढ़ती ही जा रही है
शब्दों के चुनाव में मेरा बार-बार जासूस वाली नजरों से ताक झाक करना भी तो बेहद जरूरी है
इस बीच हो रही कविता प्रतियोगिताओं में अपनी हिस्सेदारी देनी भी तो मेरी एक अपनी जिम्मेदारी है
खुशी, गम, नाराजगी जैसे अनेक रसीले भावो के बिना तो
आजकल हर कविता मानो जैसे एकदम अधूरी है
क्योंकि कविता में जान डालना केवल इस रस की ही अपनी एक कलाकारी है
लेकिन ना जाने मगर कुछ ना कुछ कमी है जो हर बार मेरी कविता को फीकी बना दे रही है
पर कोशिशों के इस ...
मेरी उलझने इतनी सारी है कि खुद की सोच खुद पर ही भारी है
और दिमाग में विचारों की अलग से मारामारी है
खयालों की सीडीं भी दिन भर बढ़ती ही जा रही है
शब्दों के चुनाव में मेरा बार-बार जासूस वाली नजरों से ताक झाक करना भी तो बेहद जरूरी है
इस बीच हो रही कविता प्रतियोगिताओं में अपनी हिस्सेदारी देनी भी तो मेरी एक अपनी जिम्मेदारी है
खुशी, गम, नाराजगी जैसे अनेक रसीले भावो के बिना तो
आजकल हर कविता मानो जैसे एकदम अधूरी है
क्योंकि कविता में जान डालना केवल इस रस की ही अपनी एक कलाकारी है
लेकिन ना जाने मगर कुछ ना कुछ कमी है जो हर बार मेरी कविता को फीकी बना दे रही है
पर कोशिशों के इस ...