...

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स्त्री
जिंदगी के इस पर्यावरण का,,
स्त्री एक विशाल सा पेड़ हैं।
कभी गर्म तो कभी नर्म सी,,
स्त्री धूप छांव का एक प्यारा सा सुमेल हैं।
वह घर जनत से कम नहीं,,जिस घर को
माॅं ,बहन और प्यार पत्नी का मिल जाता।
जब मुस्कान बिखेरती खिली धूप जैसी,,,
घर का पूरा पर्यावरण खिल जाता।
कभी बच्चों के लिए तो कभी पति की खातिर,,,,
अपने सब शौंक भुलाती हैं।
ख़ून पसीने से सींच कर,,,
एक एक डाली (रिश्ते) को मजबूत बनाती हैं।
घर का हर एक पौधा बढ़े फूले,,,
स्त्री हर दिन कामना करती हैं।
बड़ी मजबूत जड़ें है इस...