कर्ण
उंचे उंचे लोगो मे मै ठहरा छोटी जात का,
खुद से ही अनजान मै ना घर का ना घाट का,
सोने सा था तन मेरा अभेद्य मेरा अंग था,
कर्ण...
खुद से ही अनजान मै ना घर का ना घाट का,
सोने सा था तन मेरा अभेद्य मेरा अंग था,
कर्ण...