...

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आखिरी दिन मेरा ऐसा हो
सोइ थी गहरी निंद्रा में मरने का स्वपन नज़र आया
आखिरी दिन मेरा कैसा होगा ये विचार मन में आया

मन चंचल सा विचरण करता गया फिर एक मुकाम पर ये आया
मुस्कराहट हो होटों पर आखिरी दिन मेरा ऐसा हो

कोई काम अधूरा न छुट्टे जिम्मेदारी का कोटा पूरा हो
मैं मस्त मगन सी सो जाऊं आखिरी दिन मेरा ऐसा हो

कोई चिंता न हो मेरे मन में कुछ पाने की कुछ खोने की
संतुष्टि की चादर ओढ़ चलू आखिरी दिन मेरा ऐसा हो

अपनों का साथ हो पर खाली मेरे हाँथ हों
जो पाया उसे छोड़ दूँ आखिरी दिन मेरा ऐसा हो

फिर सोचा मेरे मन ने ऐसा वक़्त कब आएगा
ये तो विधाता उस दिन ही बतलायेगा

क्यों न हर पल जियुं ऐसे हर दिन मेरा आखिरी है
न कुछ मेरा है यहाँ हम तो सब कठपुतलि हैं
@ ritz