...

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मीठा दर
दर लग रहा है उसे सच कहने को,
सब के सामने उसका हाथ थामे उसे अपना कहने को,

कहीं वोह मुझसे नाराज ना हो जाए,
कहीं वोह मुझसे खामोश ना हो जाए,
कहीं वोह मुझसे मायूस ना हो जाए,
कहीं वोह मुझसे रूट ना जाए,
कहीं वोह मासूम मुझसे टूट ना जाए,
बस यही सोच सोच कर एक अजीब सा दर लग रहा है,

क्या आपने भी कभी इसे मेहसूस किया है।


© Aahaan