...

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निकलें हैं
ग़म पिरोकर गले का हार करके निकलें हैं ,
हम मलंग कुछ बेचने सर -ए - बाज़ार निकलें हैं।

लगाओ कीमतें बढ़कर तुम्हारी जेब भारी है ,
दिल हथेली पर लिए हम बाज़ार निकलें हैं।

बनाके ताजमहल आश़िकों में आगे, सुना...