भावनाएं
है हृदय तुम्हारा अति कोमल,
बनते क्यूं फिर पाषाण, उपल।
बहने को तरस रहे कब से,
व्याकुल...
बनते क्यूं फिर पाषाण, उपल।
बहने को तरस रहे कब से,
व्याकुल...