...

4 views

चुनाव के प्रचार हैं
धर्म को दें गालियां, झूठ पर भी तालियां
जुमले सारे ख़्वाबों के, जवाब सब सवालियां
भाषा, जाति संगठन, कुरीति के प्रसार हैं
और हैं ये कुछ नहीं, चुनाव के प्रचार हैं...
पार्टियों की दावतें, हर नीति पर बगावतें
गठबंधनों के रास्ते, जो जीत के हैं वास्ते
असली मुद्दे देश के, भेड़िए जो भेष के
मिट्टी में जो खो रहे, पदचिह्न अपने देश के
बदलाव की ये भ्रांतियां, विकास की ये क्रांतियां
कर्ज़ माफ़ी, मर्ज माफ़ी, मन के जो आसार हैं
और हैं ये कुछ नहीं, चुनाव के प्रचार हैं...
दाल, चावल, सब्ज़ियों के, गिर रहें हैं दाम जो
आम आदमी के मन में, पक रहे अरमान जो
खाद, पानी, हवा, राशन, जनता पर जनता का शासन
रोज़गार, पक्के घर के, मिलते हैं जो आश्वासन
तेल, गैस सस्ते होंगे, सबके पीछे बस्ते होंगे
दुगनी होगी आय सबकी, कृषिक सारे हंसते होंगे
भत्ता, पेंशन सबको होगी, स्वास्थ्य की टेंशन ना होगी
जीत कर चुनाव फिर ये, बातें सब मेंशन ना होगी
ये जो बेबुनियादों की बातें, खोखले आधार हैं
और हैं ये कुछ नहीं, चुनाव के प्रचार हैं...
वोट की गरिमा को जानो, और चुनो नेता सही
काम जो आए तुम्हारे, असली नेता है वही
फॉर्च्यूनर में घूमते जो, पी के व्हिस्की झूमते जो
साल में बस एक बार, गिर के पैर चूमते जो
उनकी चुपड़ी वाणियों में, महंगी-महंगी गाड़ियों में
बिक ना जाना देश वालों, लाल पत्ती, साड़ियों में
हम सभी निर्माता हैं, इस देश के आकार हैं
और हैं ये कुछ नहीं, चुनाव के प्रचार हैं...
© Er. Shiv Prakash Tiwari