अब एहसास नहीं
साथ रहकर भी साथ नहीं
पास रहकर भी पास नहीं
बातें तो होती हैं बेशक
पर उनमें अब एहसास नहीं।
बदला रिश्ता
बदली मंजिल
बहके कदम
फिसला दिल
रिश्तों में दरारें पड़ गई
भरोसे की डोर
हाथों से निकल गई
दायरे भूले ...
पास रहकर भी पास नहीं
बातें तो होती हैं बेशक
पर उनमें अब एहसास नहीं।
बदला रिश्ता
बदली मंजिल
बहके कदम
फिसला दिल
रिश्तों में दरारें पड़ गई
भरोसे की डोर
हाथों से निकल गई
दायरे भूले ...