गुफ्तगू
.......गुफ्तगू......
बात तो करनी है तुझसे
पर,शुरू करूं कहां से !
लफ्जों को ढूंढ रही हूं
क्या कहूं यही सोच रही हूं
ज़िंदगी के नये रंग बताऊं
या लड़खड़ाते जमी पर पाव दिखाऊं
ख्वाबों को ढूंढती नजरें बताऊं
या...
बात तो करनी है तुझसे
पर,शुरू करूं कहां से !
लफ्जों को ढूंढ रही हूं
क्या कहूं यही सोच रही हूं
ज़िंदगी के नये रंग बताऊं
या लड़खड़ाते जमी पर पाव दिखाऊं
ख्वाबों को ढूंढती नजरें बताऊं
या...