...

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कोई तो है, जो जल रहा है....
हाँ, दिए तो बेशक जलाए मैंने दिवाली पर...
मग़र कोई तो है, जो जल रहा मेरे इस दिल के अन्दर अरसों से
हाँ कोई तो है जो जल रहा है, दिल के
किसी उस कोने वाले कमरे में जहां सिर्फ अँधियारा ही अँधियारा है
हाँ कोई तो है जो जल रहा है, जिसका दिया जल रहा है
वो दिया जिसकी लौ कभी बुझ ही नहीं सकती, मग़र
फिर भी वो लौ मेरे इस दिल के अंधेरे को कभी मिटा ही ना सकी
हाँ कोई तो है, जो जल रहा है
हाँ कोई तो है, जिसके नाम का दिया जल रहा है मेरे इस दिल के अन्दर अरसों से
हाँ कोई तो है, जो जल रहा है
हाँ, रंगोलियां हर साल की तरह इस बार भी ज़रूर बनाई है मैंने
रंगोलियां, और उसमें भरे वो रंग जो अगले दो दिनों में मिट जाने हैं
मग़र कोई तो है, जो जम-सा गया है मेरे इस दिल में
किसी गुलाल की तरह सालों से
हाँ कोई तो है जो दाग दे गया है दिल की उस पाक ज़मी पर,,,
जहाँ सिर्फ़ उसी का नाम है
हाँ कोई ऐसा दाग, जिसके धब्बे सारी जिंदगानी भी घिसते नहीं मिट सकती
हाँ कोई तो है, कोई तो है जिसके दिए दाग सबसे गहरे हैं...
मग़र, फिर भी वो दाग बेहद खूबसूरत बना देते हैं मुझे
हाँ कोई तो है, कोई दाग होकर भी मुझमें जो ढल रहा है
हाँ कोई तो है, कोई तो है....
तलब और शौक पटाखों की भी बेहद है हमको, ज़ख्म हर बार दिवाली में होते हैं इनसे, जो खूब जलते हैं
मग़र कोई तो है जो ज़ख्म है, जो जल रहा है
ज़ख्म, हाँ वो ज़ख्म जो गहरा है, जो दे गया है कोई बरसों पहले
हाँ, जो ज़ख्म जो सुकून है
हाँ, वो जख़्म जिसकी खुशामदीद हम अपने इस दिल में बेहद शौक से करते हैं
हाँ, वो ज़ख्म जो जल रहा है
वो जख़्म जो बस कहने को तो कोई गहरा-सा दर्द है
मग़र जिसकी तलब है हमें, जो चैन है मेरा
हाँ, कोई वो गहरा-सा ज़ख्म जो जल रहा मेरे इस दिल में बरसों से
हाँ कोई तो है, जो जल रहा है
कोई तो है, जो जल रहा

#दिवाली especial😊
© Kumar janmjai