...

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अपनी अर्जी

निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर रे
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
झुक कर ही सफ़र की शुरुआत कर रे।

बदलते वक्त से दोस्ती कर ले
क्या सही क्या ग़लत पर न उलझ रे
कभी सीधी कभी उल्टी चाल चल रे
हवा की रुख के साथ बदल रे।

स्वाभिमान को ताक में रख लें
कदम कदम पर धोखा है रे,
मत सोच जमाने की बात
अपनी अर्जी पर ध्यान रख रे।