...

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अलविदा
दर्द का इक फ़साना सुना दूं
फिर तेरी बज़्म से मैं चलूंगा
आंख से चार क़तरे बहा दूं
फिर कभी ना तेरा नाम लूंगा

ज़ख़्म ऐसे मिले हैं यहां पर
जिनका मरहम कहीं ना मिलेगा
दिलजला अब ये नाकामियों की
आग में ज़िंदगी भर जलेगा
तन में बेशक़ रहे जान लेकिन
रूह पर मैं क़फ़न ओढ़ लूंगा

तेरे जलवे तुझे हों मुबारक
अब मुझे इनसे क्या वास्ता है
ग़ैर हूं इक मैं तेरी नज़र में
अब तो मेरा अलग रास्ता है
इक दफ़ा बोल दूं अलविदा मैं
फिर किसी मोड़ पर ना मिलूंगा
©charudatta_kelkar

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© ©charudatta_kelkar