चांद और मैं
वो चांद आसमां का बचपन से
मेरे दिल में घर करता था
बांट लूं हर कशमकश उससे
ये मेरा मन कहता था
चांद भी बोलता था हजारों बातें
मगर लहरों के शोर में दब जाती थी
मैं खोजती थी अर्थ...
मेरे दिल में घर करता था
बांट लूं हर कशमकश उससे
ये मेरा मन कहता था
चांद भी बोलता था हजारों बातें
मगर लहरों के शोर में दब जाती थी
मैं खोजती थी अर्थ...