...

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चंदा रे!
चंदा रे, चंदा रे कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
चंदा रे, चंदा रे कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे

चंदा रे, चंदा रे कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
तुझको आते इधर लाज आये अगर
ओढ़ के आजा तू बादल घने



गुलशन, गुलशन, वादी वादी, बेहेती है रेशम जैसी हवा
गुलशन, गुलशन, वादी वादी, बेहेती है रेशम जैसी हवा
जंगल जंगल, पर्वत पर्वत, हैं नींद में सब इक मेरे सिवा
चंदा चंदा
आजा सपनों की नीली नदियाों में नहायें
आजा ये तारे चुनके हम हार बनाएं
इन धुँधली धुँधली राहों में आ दोनों ही खो जाएं

चंदा रे, चंदा रे कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
तुझको आते इधर लाज आये अगर
ओढ़ के आजा तू बादल घने

चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
झरने क्यूँ गाते हैं, पंछी क्यूँ मतवाले
हो, क्यूँ है सावन महीना घटाओं का
चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
चंदा, चंदा
तितली के पर क्यूँ इतने रंगीन होते हैं
जुगनू रातों में जागे तो कब सोते हैं
इन धुँधली धुँधली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं

चंदा रे, चंदा रे कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
तुझको आते इधर लाज आये अगर
ओढ़ के आजा तू बादल घने