...

14 views

मेरा बचपन ##
शान्त अकेली आज जो बैठी,
मन में ले कर लाख सवाल।
कहां गया वो बचपन मेरा
वो तोतले सुर और ताल।

नटखट आंखों के वो सपने
जिसमें छोटी छोटी बात
कितने प्यारे दिन थे वो भी,
शान्त सुकुन भरी वो रात।

ना फिक्र और ना कोई चिंता
ना दिल में था कोई मलाल।
ना जवाब देना होता था,
ना करता था कोई सवाल
कहां गया वो बचपन मेरा
वो तोतले सुर और ताल।।



रंग बिरंगे गुब्बारे और
मस्ती भरी थी अपनी चाल
लम्बी चौड़ी हंसी ठिठोली
किसी का ना था कोई सवाल
कहां गया वो बचपन मेरा
वो तोतले सुर और ताल।।

वो बारिश की गीली मिट्टी
मन को कितना भाती थी,
खेल खेल में कटते दिन थे
फिक्र ना कोई सताती थी

आज की दुनिया कितनी बदली,
जीवन कितना बदला है
फ़ुरसत ही नहीं किसी को अब तो,
वक्त रेत सा फिसला है।।

शान्त अकेली आज जो बैठी
मन में ले कर लाख सवाल
कहां गया वो बचपन मेरा
वो तोतले सुर और ताल।।


धन्यवाद






© Srishti chaturvedi