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पिता (Happy Father's Day)
अपने बच्चों को खुशी न देने पर रोता है
हर रोज उन्हें सुख देने के लिए बाजार में खङा होता है
माना डांट देते है
पर अपना सबकुछ लुटा देते है
अपनी जिन्दगी अपने बच्चों में समेट लेते है
उनके सारे दुख भी खुद पर ले लेते है
अपने दुख और आँसू को कभी बया नहीं करते है
हमारे पिता अपने होकर भी कुछ साझा नहीं करते है
तीर जवाबों के भी चुप चुप सह लेते है
अपने हर जख्म को भी छुपा लेते है
हर लडकी की विदाई पर रोता है
हर बेटे की गलती पर गुस्सा भी होता है
वो भले ही जनक , दशरथ या धृतराष्ट्र न हो,
पर हर पिता महान होता है....।
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