बदनाम
मे जज्बात ए जेहन लिखता हू
लोग इसे जाने क्या समझते हैं
मेरे अश'आर दौलत है मेरी
यह बात क़्यो नही तुम समज ते ।
वो सक़्स बदनाम है,
ओर ऊसि से तालूख क़्यो है यह तुम समज ते ।
जाने क़्या क़्या अंदाजा लगा लेते हो जनाब,
ओर भी बहुत काम है हर काम, को वासना क़्यो समज ते
भुल क़्यो जाते हैं इन्सान तो इन्सान है,
संग ए मरमर को तराश दू तुम मेरे हुनर को कम क़्यो समज ते ।
बगेर आतिश मे जले, कोई पतंगा परवाना नही बनता,
क़्या होता है नफ्ज टटोलना तुम ईस बात को नही समज ते।
© jitensoz
लोग इसे जाने क्या समझते हैं
मेरे अश'आर दौलत है मेरी
यह बात क़्यो नही तुम समज ते ।
वो सक़्स बदनाम है,
ओर ऊसि से तालूख क़्यो है यह तुम समज ते ।
जाने क़्या क़्या अंदाजा लगा लेते हो जनाब,
ओर भी बहुत काम है हर काम, को वासना क़्यो समज ते
भुल क़्यो जाते हैं इन्सान तो इन्सान है,
संग ए मरमर को तराश दू तुम मेरे हुनर को कम क़्यो समज ते ।
बगेर आतिश मे जले, कोई पतंगा परवाना नही बनता,
क़्या होता है नफ्ज टटोलना तुम ईस बात को नही समज ते।
© jitensoz