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मुझ में मैं नहीं हूँ क्या
किसी की उंगलियों में लिपटा हूँ क्या
आज कल उसकी सुनता हूं
मुझे में मैं नहीं हूँ क्या,
आज कल कटपूतलीसा बना फिरता हूँ, मेहसूस ही नहीं होती साँसें मैं ले भी रहा हूँ क्या, मुझे मैं बाकी अब नहीं हूँ क्या,
उसकी हाँ में हाँ होती है
उसकी ना में ना मुझे में मैं
कहीं नहीं हूं क्या,
लिपट गया हूँ किसी की
उंगलियों में मुझ में मैं नहीं हूँ क्या|
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