बरसात
कब से मैं घूमसुम हुँ ,
ये तो मुझे भी नहीं थी खबर
अच्छा हुआ, समझ आया,
ये तो बरसात है दरबदर ।
मौसम के साथ कहाँ नाता हैं
वैसे भी बदल चुकी हैं मेरा ग़ज़ल।
ये तो ख्याल डूबी हैँ ज़मी के बूंदो मे
मैं ताकती रही खिड़की से आंगन पर।।
एक नज़ारे बरसात मे नाचते हुवे ,...
ये तो मुझे भी नहीं थी खबर
अच्छा हुआ, समझ आया,
ये तो बरसात है दरबदर ।
मौसम के साथ कहाँ नाता हैं
वैसे भी बदल चुकी हैं मेरा ग़ज़ल।
ये तो ख्याल डूबी हैँ ज़मी के बूंदो मे
मैं ताकती रही खिड़की से आंगन पर।।
एक नज़ारे बरसात मे नाचते हुवे ,...