...

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नेता या देश विक्रेता
बात बात में सोचा मैंने
अपनी भी कुछ बात कहूं
कैसी हालत है आज के नेताओं की
उस पर मैं अपने जज्बात कहूं//

मंच सजाकर क्या कुछ ना कहते
हे जनता जनार्दन! हम आपके सपने संजोएंगे
पर भोली जनता को क्या मालूम
यह नफरत की बीज मात्र ही बोएंगे//

आतंकवादी भी देखकर जिन्हे़ं शर्मा जाए
ये तो हमारे भी बाप निकले
जिनसे उम्मीद है...