यादें हैं और यादें ही रहेंगे
यादें.....क्या होते हैं ?क्यों होते हैं ?
वे अपने रहस्यों से भरे होते हैं ।
विज्ञान के पास भी लाज़मी जवाब की कमी है
पर फिर भी इंसानों के वजूद इससे होती है ।
जो इंसान अपने यादों से आज़ाद हो गया
उसमे और जानवर या एक छोटे बच्चे में कोई भेद नहीं
ये यादें ही इंसानों को इंसान बनाते हैं
यादों में बसी कई सिख, कई सही गलत का हिसाब निकास
दुनिया की खरी खोटी सब इसमें बसी है।
यादें ना किसीको दिखते हैं न ही सुनाई देते हैं
फिर भी अपने होने का एहसास कराते हैं
बचपन के मासूम शरारतें, बड़े होने की जद्दोजहत
इन सब में...
वे अपने रहस्यों से भरे होते हैं ।
विज्ञान के पास भी लाज़मी जवाब की कमी है
पर फिर भी इंसानों के वजूद इससे होती है ।
जो इंसान अपने यादों से आज़ाद हो गया
उसमे और जानवर या एक छोटे बच्चे में कोई भेद नहीं
ये यादें ही इंसानों को इंसान बनाते हैं
यादों में बसी कई सिख, कई सही गलत का हिसाब निकास
दुनिया की खरी खोटी सब इसमें बसी है।
यादें ना किसीको दिखते हैं न ही सुनाई देते हैं
फिर भी अपने होने का एहसास कराते हैं
बचपन के मासूम शरारतें, बड़े होने की जद्दोजहत
इन सब में...