...

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ओ मेरे सागर
शब्द के बदरा घुमड़ने लगे इस आसमान में
आज भिगा भिगा दूं बरस बरस सरस कर दूं तुम्हें
तुम स्तब्ध देखती रह जाओ मुझे
कैसी, बयार सी बहा रहे बांध रहे हृदय से मुझे

फिर इस मन के आंगन...