मैं तो इश्क़ में हूँ तुम्हेंऐसा ही..
बहती रहती हैं
दरिया सी
आंखे बेचैन
तुम्हें लौट देखने की
फुरसत कहाँ है
ये जो फुरकत
मेरे हिस्से,किस्से है
क्या...
दरिया सी
आंखे बेचैन
तुम्हें लौट देखने की
फुरसत कहाँ है
ये जो फुरकत
मेरे हिस्से,किस्से है
क्या...