...

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#सपना
मुझे सपना बुनना है
माँ-बाप की दुनिया रंगना है

कलाम का कहना सुनना हैं
सपने बड़े ही अब देखना हैं

मीठी नींद नहीं लेना हैं
आराम की जिद अब छोड़ना हैं

ऊंचे भवन न सोचना हैं
ऊंचे स्वप्न ही सींचना हैं

दिल को मजबूत बनाना हैं
आलोचनाओं को बर्दाश्त करना हैं

एक आने की कीमत समझना हैं
माँ-बाप की मेहनत सिर माथे धरना हैं

महान त्याग अब करना हैं
देश के नाम कुछ कर जाना हैं

अनचाही यारी अब छोड़नी हैं
खुद की पहचान बनानी हैं

स्वयं पर भरोसा करना हैं
अपनों के विश्वास पर खरे उतरना हैं

अधूरे सपने को पंख देना हैं
हरहाल में अब तो उड़ना हैं
© Utsav Gupta (Mona)