...

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महसूस होता है...
महसूस किया कुछ महसूस हुआ ही नहीं,
जिसे समझा था हमारा है वो हमारा हुआ ही नहीं।
टूट गई है वो कड़ी जिसे जोड़ा जा सकता था,
अब तो ये बेरूखी ज़माने की सीखा गयी है सलीक़ा.. जो जीना हो दुनिया में तो ताल्लुक सभी से थोड़े कम कर देने चाहिए,
थोड़ा हम भी जीए सुकून से थोड़ा औरों को भी जीने देना चाहिए।।
© Aayushi Shandilya